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शैतान शासक की आकुल आत्मा का ‘चुपचाप अट्टहास’

किसी देश की जनता के लिए यह जानना हमेशा दिलचस्प (और जरूरी भी) होगा कि उस   देश की सत्ता के शिखर पर बैठा शैतान अगर कभी स्वयं से बतियाता होगा तो कैसे ? उसके ‘ मन ’ की बात क्या होगी ? वह ‘ मन की बात ’ नहीं जो वह रेडियो , टेलीविज़न से प्रसारित करवाता है । क्योंकि वह तो एक रिकॉर्डेड अभिनय है , यह जनता को खूब पता होता है। अपने छल , प्रपंच , कपट , अत्याचार , अनाचार को स्वयं के सामने वह कैसे और किन शब्दों में जस्टीफाई करता होगा। ज़ुल्म और फ़रेब से भरे अपने दिमाग़ का इस्तेमाल लोगों के दिमाग़ों पर कब्ज़ा करने को प्रतिबद्ध शैतान के एकालाप से लेकर शासक के रूप में जनता के साथ संवाद और विवाद की तीखी छवियां समर्थ कवि लाल्टू ने अपने नए कविता-संग्रह ‘ चुपचाप अट्टहास ’ की कविताओं में अंकित की हैं। संग्रह की सभी कविताएं एक ही शृंखला की कड़ियां हैं , शायद इसीलिए कवि ने हर कविता को अलग-अलग शीर्षक न देकर क्रम संख्या के आधार पर रखा है।               इस किताब की भूमिका में नन्दकिशोर आचार्य ने कवि लाल्टू ; और इस संग्रह की कविताओं के बारे में बहुत महत्वपूर्ण बात की तरफ ध्यान दिलाया है। वे लिखते

नीरज पाण्डेय की कविताएं

(एक अवधीभाषी कवि का हिंदी कविता की जोत में दख़ल.... छोटी-सी बानगी के तौर पर आज अवसरलोक पर प्रस्तुत हैं युवा कवि नीरज पाण्डेय की चार कविताएं। नीरज इलाहाबाद जिले के एक प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक हैं।)‌ उतरहिया   छुट्टे में वसूल करता था वह अपनी जिन्दगी   सावन में अपनी कजरी के साथ फागुन में अपनी फगुनी के साथ बसंत में अपनी पियरकी के साथ और पूस में अपनी रानी के साथ बहुत प्यार था दोनों में   तारीखें अक्सर भूल जाता था वह लेकिन ये याद था उसे कि शिवतेरस के चार रोज पहले लगन चढ़ी थी उसकी और ब्याह लाया था अपनी कजरी , फगुनी , पियरकी को   उत्तर दिशा की ओर की थी वह इसीलिए उतरही कही जाती थी बहुत खूबसूरत थी वह कजरी जैसा रूप फगुआ जैसा रंग लोकगीत जैसा गुण निर्गुण जैसा स्वभाव   और भी खूबसूरत हो गयी थी वह कलशा का पानी पड़ने के बाद बहुत प्यार था दोनों में   सोहर बहुत ही राग से गाती थी सभी बुलाते थे उसे सोहर गाने के लिए बच्चे के निकासन पर हर गुन में गुनमती थी वह