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आज़मगढ़ में 'स्मरणः कवि त्रिलोचन एवं मुक्तिबोध'

जनसंस्कृति मंच द्वारा मुक्तिबोध व त्रिलोचन के जन्म शताब्दी वर्ष के मौके पर आज़मगढ़ में कार्यक्रम आयोजित किया गया। शहर स्थित शिब्ली एकेडमी के हाल में 8 जनवरी 2017 को 'स्मरणः  कवि त्रिलोचन एवं मुक्तिबोध' नाम से आयोजित यह कार्यक्रम दो सत्रों में सम्पन्न हुआ। पहले सत्र में दोनों कवियों के जीवन और कविता पर बात हुई। इसमें बोलते हुए 'समकालीन जनमत' के प्रधान सम्पादक रामजी राय ने कहा कि मुक्तिबोध को जटिल कवि माना जाता है, लेकिन यह जटिलता उनकी कविता की भाषा में नहीं है, बल्कि यह जटिलता विचारों और अनुभवों की जटिलता है। क्योंकि मुक्तिबोध के विचार और अनुभव परिवर्तन की छटपटाहट लिए हैं। इसलिए मुक्तिबोध की कविताएं धीरज की मांग करती हैं। मुक्तिबोध की कविताओं में नये भारत की खोज है। यह खोज नेहरू के 'डिस्कवरी ऑफ इण्डिया' की तरह नहीं है बल्कि अम्बेडकर ने जिसे एक बनता हुआ राष्ट्र कहा, उस भारत की खोज है। उनकी कविताओं में समय का सर्वेक्षण है। सर्वेक्षण इसलिए कि नया भारत बनाना है। उन्होंने आगे कहा कि मुक्तिबोध नक्सलबाड़ी के अवांगार्द कवि हैं। वे परिवर्तन की छटपटाहट व उसकी अनिवार्यता