प्रदीप कुमार सिंह की कविताएं

प्रदीप कुमार सिंह सही मायने में जनता के कवि हैं. इस समय के सारे खतरों से सचेत ऐक्टिविस्ट की भूमिका में. उनकी शुरुआती कविताएँ इलाहाबाद से प्रकाशित 'अवसर ' में छपी थीं, अवसर द्वारा आयोजित सोमवारीय गोष्ठियों में उन्हें कई बार सुनने का मौक़ा मिला। वे जसम से सम्बद्ध हैं और फिलहाल फतेहपुर में एक विद्यालय में हिंदी पढ़ाते हैं। यहाँ पढ़िए उनकी पांच ताज़ा कविताएं - शाह-ए-जहाँ जो ताजमहल बनाएँगे उनके हाथ काट लिए जाएंगे और हाथ काटने वाले शाह-ए-जहाँ कहलाएंगे। वैष्णव जन आएँगे वैष्णव जन आएँगे रामराज्य लाएंगे सीता निर्वासित होंगी शूर्पणखा का बलात्कार होगा शम्बूक की हत्या होगी पूरे देश को बनाया जाएगा गोधरा; और मुज़फ्फरनगर इस तरह वैष्णव जन आएँगे रामराज्य लाएंगे। किसान भूख से तड़प रहे हैं किसान खेत में फसल जला रहे हैं किसान आत्महत्या कर रहे हैं किसान सरकारी पोस्टर में मुस्कुरा रहे हैं किसान सरकारी पोस्टर ...