नीरज पाण्डेय की कविताएं
(एक अवधीभाषी कवि का हिंदी कविता की जोत में दख़ल.... छोटी-सी बानगी के तौर पर आज अवसरलोक पर प्रस्तुत हैं युवा कवि नीरज पाण्डेय की चार कविताएं। नीरज इलाहाबाद जिले के एक प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक हैं।) उतरहिया छुट्टे में वसूल करता था वह अपनी जिन्दगी सावन में अपनी कजरी के साथ फागुन में अपनी फगुनी के साथ बसंत में अपनी पियरकी के साथ और पूस में अपनी रानी के साथ बहुत प्यार था दोनों में तारीखें अक्सर भूल जाता था वह लेकिन ये याद था उसे कि शिवतेरस के चार रोज पहले लगन चढ़ी थी उसकी और ब्याह लाया था अपनी कजरी , फगुनी , पियरकी को उत्तर दिशा की ओर की थी वह इसीलिए उतरही कही जाती थी बहुत खूबसूरत थी वह कजरी जैसा रूप फगुआ जैसा रंग लोकगीत जैसा गुण निर्गुण जैसा स्वभाव और भी खूबसूरत हो गयी थी वह कलशा का पानी पड़ने के बाद बहुत प्यार था दोनों में सोहर बहुत ही राग से गाती थी सभी बुलाते थे उसे सोहर गाने के लिए ...