वर्ग-संघर्ष से तय होगा दुनिया का भविष्य - माइकल शूमैन
मार्क्स की पुनर्प्रासंगिकता लंदन के हाईगेट कब्रिस्तान में दफनाए गए जर्मन दार्शनिक और आर्थिक सिद्धांतकार कार्ल मार्क्स को आधुनिक समाजवाद और साम्यवाद के संस्थापक के रूप में याद किया जाता है। उनकी मृत्यु के बाद ऐसा माना जाता रहा कि मरणोपरांत उन्हें दफन कर (भुला) दिया गया है। सोवियत संघ के विघटन और चीन द्वारा पूँजीवाद में बड़ी छलाँग के साथ , जेम्स बॉन्ड की फिल्मों या किम जोंग उन के विचित्र मंत्र की आकर्षक पृष्ठभूमि में साम्यवाद धुँधला पड़ गया। जिस वर्ग-संघर्ष को मार्क्स ने इतिहास की दिशा तय करने वाला माना था , ऐसा लगने लगा कि वह मुक्त व्यापार और मुक्त उद्योग के फलते-फूलते युग में कहीं लुप्त हो गया। धरती के कोने-कोने को पूँजी के लुभावने जाल में फँसाने की वैश्वीकरण की व्यापक शक्ति , आउटसोर्सिंग और ‘ असीम ’ उत्पादन ने सिलिकॉन वैली के प्रौद्योगिकी-विशेषज्ञों से लेकर चीन की खेतिहर लड़कियों तक , सभी को अमीर बनने के भरपूर अवसर दिए। बीसवीं सदी के अंतिम दशकों में एशिया , शायद मानव इतिहास में गरीबी की कमी के सबसे उल्लेखनीय कीर्तिमान का गवाह बना ...